Pratapgarh

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तेरी राखी आई पाया चूम इसे मै गले लगाया

 

 

बहना मेरी दूर पड़ा मै 

दिल के  तू  है पास 

अभी बोल देगी तू "भैया" 

सदा लगी है आस 

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मुन्नी -गुडिया प्यारी मेरी 

तू है मेरा खिलौना 

मै मुन्ना-पप्पू-बबलू हूँ 

बिन तेरे मेरा क्या होना ! 

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तू ही मेरी सखी सहेली 

कितना खेल खिलाया 

कभी -कभी मेरी नाक पकड़ के 

तूने  बहुत चिढाया ! 

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थाली में तू अपना हिस्सा 

चोरी से था डाल खिलाया 

जान से प्यारी मेरी बहना 

भैया का गहना है बहना !! 

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जब एकाकी मै होता हूँ 

सजी थाल तेरी वो दिखती 

चन्दन जभी लगाती थी तू 

पूजा- मेरी आरती- करती ! 

रक्षा -बंधन और मिठाई 

दस-दस पकवान पकाती थी 

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बाँध दिया बंधन से तूने   

ये अटूट रक्षा जो करता 

मेरी बहना सदा निडर हो 

ख़ुशी रहे दिल हर पल कहता 

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जहाँ रहे तू जिस बगिया में 

हरी-भरी हो फूल खिले हों 

ऐसे ही ये प्यारा बंधन 

सब मन में हो -गले लगे हों 

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तू गंगा गोदावरी सीता 

तू पवित्र मेरी पावन गीता 

तेरी राखी आई पाया 

चूम इसे मै गले लगाया 

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कितने दृश्य उभर आये रे 

आँख बंद कर हूँ मै बैठा 

जैसे तू है  बांधे राखी 

मन -सपने-उड़ता मै "पाखी" 

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तेरी रक्षा का प्रण बहना   

रग-रग  में राखी दौडाई 

और नहीं लिख पाऊँ बहना 

आँख छलक मेरी भर आई 

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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

१३.०८.११  ८.४५ पूर्वाह्न 

जल पी बी

 

Wishes For Rakhi

Happy Rakshabandhan@@!!